Rocky Aur Rani Kii Prem Kahaani Movie Download in Hindi, Tamil, Telugu, 1.5GB Mp4 Full HD 1080p,720p,480p
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Posted on October 04, 2023
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Download Rocky Aur Rani Kii Prem Kahaani (2023) Full Movie in Hindi | HD
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How to Download Video
Language: Hindi (ORG-5.1) + ESubs
Quality: WEB-DL 1080p | 720p | 480p
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मूवी रिव्यू: रॉकी और रानी की प्रेम कहानी
ऐक्टर:
डायरेक्टर : करण जौहरश्रेणी:Hindi, Family, Comedy, Romanceअवधि:2 Hrs 48 Minरणवीर सिंह,आलिया भट्ट,धर्मेंद्र,शबाना आजमी,जया बच्चन,टोटा राय चौधरी,आमिर बशीर,नमित दास
पूरे सात साल बाद अगर करण जौहर निर्देशक के रूप में फिल्म लेकर आएं और एक ऐसी फिल्म लाए, जहां आलिया-रणवीर जैसी जोड़ी के साथ धर्मेंद्र-शबाना-जया जैसे दिग्गज कलाकर हों, तो फिल्म से उम्मीदें भी अधिक होती हैं और उसे कुछ ज्यादा ही बारीकी से देखा जाता है। मगर दिलचस्प बात ये है कि उनकी यह फैमिली ड्रामा न केवल मनोरंजन का पिटारा साबित होती है, साथ ही पितृसत्तात्मक सोच, लैंगिक भेदभाव, बॉडी शेमिंग, मिसोजनी जैसी मुद्दों को बहुत ऑर्गेनिक तरीके से पेशा करती है। करण इस बार साबित कर देते हैं कि भव्यता, शोबाजी और बड़ी स्टारकास्ट ही उनकी यूएसपी नहीं बल्कि उन्हें मसलों को मनोरंजक ढंग से पेश करना भी खूब जानते हैं।
'रॉकी और रानी की प्रेम कहानी' की कहानी
कहानी दिल्ली में बसे दो ऐसे लड़के-लड़की की है, जिनका आपस में कुछ भी मैच नहीं करता और ये दो लोग हैं रॉकी रंधावा (Ranveer Singh) और रानी चटर्जी (Alia Bhatt), रॉकी शहर के सबसे बड़े मिठाई वाले खानदान का वारिस है। तड़कते-भड़कते कपड़े पहनने वाला पंजाबी रॉकी प्रोटीन शेक लेकर बल्ले-शल्ले बनाने मे जुटा रहता है। अंग्रेजी उसे बोलनी नहीं आती और जनरल नॉलेज से उसका दूर -दूर का ही वास्ता है। वह एक संयुक्त परिवार में रहता है, जहां घर ही नहीं बल्कि मिठाई के बिजनेस पर भी राज करने वाली उसकी सख्त दादी धनलक्ष्मी (जया बच्चन), दादी के इशारों पर चलने वाला पिता तिजोरी (आमिर बशीर), याददाश्त गंवा चुके शायर दादा (धर्मेंद्र), पति को परमेश्वर मानने वाली मां, मोटापे का शिकार बहन हैं। वहीं दूसरी तरफ रानी पढ़े-लिखे बंगाली परिवार से आती है। जो खुद एक न्यूज एंकर है। उसके पिता (टोटा राय चौधरी) कथक डांसर हैं।
रानी की मां (चुरनी गांगुली) और दादी जामिनी (शबाना आजमी भी हैं।अपने दादा कंवल के अतीत की लव स्टोरी के कारण वह रानी से मिलता है और उस वक्त रानी को रॉकी किसी दूसरे गृह से आया हुआ एलियन लगता है। इन दोनों को पता चलता है कि कंवल और जामिनी किसी जमाने में एक-दूसरे से मोहब्बत करते थे। रॉकी रानी और उसकी दादी की मदद से अपने दादा की खोई हुई मेमोरी वापिस लाने की कोशिशों में लग जाता है। इनकी मुलाकातों का सिलसिला बढ़ता है और रॉकी रानी के गहरे प्यार में पड़ जाता है, मगर रानी समझती है कि यह महज वक्ती शारीरिक आकर्षण है, फिर उसे रॉकी के प्यार का एहसास भी हो जाता है, मगर अब उनके सामने एक सबसे बड़ी समस्या है परिवारों के बीच का कल्चरल डिफरेंस, जिसे मिटाने के लिए वे तय करते हैं रानी तीन महीने रॉकी के घर रहेगी और रॉकी उतने ही समय रानी के घर। दोनों के इस एक्सचेंज प्लान का क्या हश्र होता है? ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
'रॉकी और रानी की प्रेम कहानी' का रिव्यू
निर्देशक के रूप में करण अपनी भव्यता का दामन नहीं छोड़ते। फिल्म की शुरुआत ही चकाचौंध वाले गाने से होती है, जिसमें वरुण धवन, जान्हवी कपूर, सारा अली खान, अनन्या पांडे नजर आते हैं। मगर जैसे -जैसे कहानी आगे बढ़ती जाती है, परतदार होती जाती है। कहानी में रोमांस, सास-बहू ड्रामा, भव्य सेट, चुटीले और मजेदार संवाद, किरदारों के कमाल-कमाल के कॉस्टयूम, साज-सज्जा सभी कुछ है, मगर इस बार करण ने जो नई चीज की है, वो है किरदारों और सिचुएशंस के जरिए मसलों को उठाना। अब जैसे घर पर भले धनलक्ष्मी जैसी महिला ही सर्वेसर्वा हैं, मगर कहीं न कहीं वो भी पुरुष प्रधान सोच की मारी है। कैंसल कल्चर और जजमेंट पास करने जैसी धारणाओं पर भी उनके किरदार बात करते हैं। फिल्म कल्चरल डिफरेंस के कारण एक-दूसरे को हीन समझने के रवैये को इंगित करती है।
फर्स्ट हाफ बांधे रखता है। हालांकि करण दोनों परिवार के कल्चर को स्थापित करने में थोड़ा वक्त लगाते हैं, मगर उसके जरिए आप जान पाते हैं कि क्यों ये दोनों किरदार विपरीत ध्रुव की तरह हैं। सेकंड हाफ थोड़ा लंबा और प्रेडिक्टिबल है। प्रीतम के संगीत में 'तुम क्या मिले', 'वॉट झुमका' जैसे गाने पहले ही पसंद किए जा रहे हैं, मगर करण ने धर्मेंद और शबाना जैसी सीनियर जोड़ी के बहाने से 'अभी न जाओ छोड़ के', 'डोला रे डोला' जैसे कई पुराने मेलोडियस गानों का खूबसूरती से इतेमाल किया है। शशांक खेतान, सुमित रॉय, इशिता मोइत्रा की लिखी कहानी में मोइत्रा के संवाद मजेदार हैं। नितिन बैद अगर एडिटिंग में कसावट रखते, तो मजा आ जाता। मानुष नंदन की सिनेमैटोग्राफी अच्छी है। एन्सेम्बल कास्ट फिल्म की खूबी है।
रणवीर सिंह इस बार अपने पूरे फॉर्म में हैं। वे एनर्जी और खिलदंडेपन से भरे अपने चिरपरिचत अंदाज में हैं, मगर ये उनको सूट करता है। अपनी परवरिश के कारण पनपी परंपरागत सोच से अनजान एक मस्तमौला के किरदार को उन्होंने खूबसूरती से अदा किया है, मगर जब उनके किरदार के आत्ममंथन का दौर आता है, तो वे उसे भी भावनात्मक होकर निभा ले गए हैं। साउथ दिल्ली की सोफिस्टिकेटेड और पढ़ी-लिखी बॉन्ग गर्ल को आलिया ने आत्मविश्वासी होकर अंजाम दिया है। आलिया केंद्रीय भूमिका में हैं और कहानी के हर बिंदु पर वे खरी उतरती हैं। महिलावादी दृश्य हों या पारिवारिक दृश्य हर जगह वे अव्वल रहती हैं। उनकी और रणवीर की केमेस्ट्री फिल्म का प्लस पॉइंट साबित होती है। दादी धनलक्ष्मी के रूप में जया बच्चन भरपूर मनोरंजन करती हैं। अहंकारी,कुंठित और कुटिल महिला के किरदार को उन्होंने दमदार ढंग से निभाया है। धर्मेंद कंवल की छोटी-सी भूमिका में दिल जीत लेते हैं। शबाना आजमी धर्मेंद्र के साथ की प्रेम कहानी को बहुत ही खूबसूरत अंदाज में आगे बढ़ाती है। प्रेम के त्रिकोण में जया-धर्मेंद्र-शबाना तीनों ही सशक्त साबित हुए हैं। आमिर बशीर, टोटा रॉय चौधरी, चुरनी गांगुली, नमित दास, क्षिति जोग, अंजलि आनंद जैसे सभी सहयोगी कलाकारों ने बढ़िया अभिनय किया है।
क्यों देखें -मनोरंजक-पारिवारिक फिल्मों के शौकीनों के लिए वीकेंड पर यह अच्छी चॉइस हो सकती है।
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